शास्त्रों में कहा गया है —
“जयेत् मोहम् ज्ञाननेन।”
अर्थात् — मोह पर विजय केवल ज्ञान से ही प्राप्त की जा सकती है।
🕉️ मोह क्या है?
मोह का अर्थ है — अज्ञानजन्य आसक्ति, यानी किसी व्यक्ति, वस्तु, या स्थिति से इस प्रकार जुड़ जाना कि बिना उसके स्वयं को अधूरा समझना।
यह केवल प्रेम नहीं है;
बल्कि ऐसा बंधन है जो विवेक को ढँक देता है।
“मोह वह पर्दा है जो हमें सत्य से दूर रखता है।”
जब मन किसी वस्तु या संबंध में इतना बंध जाता है कि वह भगवान और धर्म के मार्ग को भुला देता है — वही मोह है।
🔥 मोह के परिणाम
-
विवेक का लोप:
मोह में मनुष्य सही और गलत में भेद नहीं कर पाता।
जैसे — धृतराष्ट्र अपने पुत्र के मोह में धर्म का साथ छोड़ बैठे। -
भय और दुख:
जहाँ आसक्ति होती है, वहाँ खोने का डर और बिछुड़ने का दुख भी साथ रहता है। -
बंधन और पुनर्जन्म:
मोह ही वह रस्सी है जो आत्मा को संसार के चक्र में बाँध देती है।
🌿 मोह से मुक्ति के उपाय
1. ज्ञान का प्रकाश
अज्ञान के कारण ही मोह उत्पन्न होता है।
इसलिए आत्मज्ञान, गीता, उपनिषद, और सत्संग का अध्ययन करें।
“जैसे सूर्य अंधकार मिटा देता है, वैसे ही ज्ञान मोह को जला देता है।”
2. संग का चयन
सत्संग का अर्थ केवल संतों की संगति नहीं, बल्कि सत् विचारों और सत् कर्मों का संग भी है।
सच्चा संग मन को आसक्ति से ऊपर उठाता है।
3. नित्य चिंतन – ‘मैं कौन हूँ?’
हर दिन कुछ पल स्वयं से पूछें —
“क्या मैं यह शरीर हूँ, या शरीर का दर्शक?”
यह प्रश्न ही धीरे-धीरे मोह को कमजोर करता है।
4. भक्ति और समर्पण
भक्ति मोह को प्रेम में बदल देती है —
जब प्रेम भगवान की ओर मुड़ जाता है, तो सांसारिक मोह स्वयं मिट जाता है।
“मोह से बंधा प्रेम दुख देता है,
भक्ति से भरा प्रेम मुक्ति देता है।”
5. अनित्य का स्मरण
सब कुछ नश्वर है — यह स्मरण ही मोह का प्रतिरोधक है।
जो आज है, वह कल बदल जाएगा; इसलिए अनित्य में नित्य को खोजो।
🌸 समापन विचार
मोह का अंत ज्ञान से होता है —
और ज्ञान केवल पुस्तकों से नहीं, अनुभव और आत्मचिंतन से जागता है।
जब मन जान लेता है कि सच्चा सुख भीतर है, तब बाहर की आसक्तियाँ अपने आप टूट जाती हैं।
“जयेत् मोहम् ज्ञाननेन” —
अंधकार को हटाने का उपाय दीपक है,
और मोह को मिटाने का उपाय ज्ञान है।