मानव के तीन शरीर – स्थूल, सूक्ष्म और कारण | विस्तृत एवं प्रमाणिक विवेचन

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 भारतीय दर्शन, उपनिषद, सांख्य, वेदांत और योगशास्त्र में मानव को केवल एक भौतिक शरीर का नहीं, बल्कि तीन शरीरों (Tri-Sharira) का धारक बताया गया है।

ये तीनों शरीर मिलकर “जीव” का पूरा अस्तित्व बनाते हैं: अध्यात्म 

  1. स्थूल शरीर – भौतिक

  2. सूक्ष्म शरीर – मानसिक व ऊर्जात्मक

  3. कारण शरीर – कर्म बीज व मूल अज्ञान

आइए तीनों को क्रम से समझते हैं।




1. स्थूल शरीर – भौतिक देह (Sthūla Sharīra)

यह क्या है?

यह वही शरीर है जिसे हम देखते, छूते, नापते और अनुभव करते हैं।
इसे अन्नमय कोश भी कहा जाता है, क्योंकि यह भोजन से बना है।

स्वभाव

  • जन्म लेता है

  • बढ़ता है

  • रोग-शोक से प्रभावित होता है

  • वृद्ध होता है

  • मृत्यु में पंचतत्व में विलीन हो जाता है

स्थूल शरीर की रचना

यह पाँच महाभूतों से बना है:
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश

इसके मुख्य अंग

  • पाँच ज्ञानेन्द्रिय-अंग → आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा

  • पाँच कर्मेन्द्रिय-अंग → हाथ, पैर, जिह्वा (वाक्), उपस्थ, पायु

  • हृदय, फेफड़े, यकृत, गुर्दे, नसें, रक्त, कंकाल, मांस आदि

किस पर निर्भर?

  • आहार

  • जल

  • प्राण

  • वातावरण

  • मन की अवस्था (सूक्ष्म शरीर का प्रभाव)


2. सूक्ष्म शरीर – मन, प्राण और इन्द्रिय-शक्ति (Sūkṣma Sharīra)

सूक्ष्म शरीर अदृश्य, ऊर्जामय और चेतनशील शरीर है।
यह 19 अंगों से मिलकर बना है।

सूक्ष्म शरीर = 4 + 5 + 5 + 5 (कुल 19 अवयव)


(A) अन्तःकरण चतुष्टय – 4 अंग

  1. मन – संकल्प-विकल्प, भावना

  2. बुद्धि – निर्णय, विवेक

  3. चित्त – स्मृति, संस्कार

  4. अहंकार – ‘मैं’ की पहचान


(B) पाँच ज्ञान इन्द्रियाँ – सूक्ष्म शक्ति (अंग नहीं)

  1. श्रवण शक्ति

  2. स्पर्शन शक्ति

  3. दर्शन शक्ति

  4. रसना शक्ति

  5. घ्राण शक्ति

(ध्यान रहे: आँख-कान भौतिक अंग हैं; देखने-सुनने की शक्ति सूक्ष्म शरीर में होती है)


(C) पाँच कर्म इन्द्रियाँ – क्रिया-शक्ति

  1. वाक् शक्ति (बोलने की क्रिया)

  2. पाणि शक्ति (कार्य करने की शक्ति)

  3. पाद शक्ति (चलने की शक्ति)

  4. उपस्थ शक्ति (जनन क्रिया)

  5. पायु शक्ति (त्याग क्रिया)


(D) पाँच प्राण – जीवन ऊर्जा

  1. प्राण – श्वसन, हृदय गति

  2. अपान – उत्सर्जन, जनन

  3. समान – पाचन

  4. उदान – वाणी, उत्साह

  5. व्यान – पूरे शरीर में ऊर्जा प्रवाह


सूक्ष्म शरीर क्या करता है?

  • विचार, स्मृति, कल्पना

  • स्वप्न का निर्माण

  • भावना, क्रोध, प्रेम, निर्णय

  • शरीर को जीवन ऊर्जा देना

  • कर्मों का लेखा-जोखा संभालना

  • मृत्यु के बाद जीवात्मा को आगे ले जाना

  • पुनर्जन्म की व्यवस्था

मृत्यु के बाद यही शरीर बाहर निकलता है।


3. कारण शरीर – कर्म बीज व मूल अज्ञान (Kāraṇa Sharīra)

यह क्या है?

यह सबसे सूक्ष्म, अविकारी और बीज रूप शरीर है।
इसे आनन्दमय कोश, अविद्या, और कर्म शरीर भी कहते हैं।

इसकी विशेषताएँ

  • इसमें कोई इन्द्रिय, मन, बुद्धि नहीं होती

  • इसमें केवल संस्कार, वासनाएँ और कर्म बीज होते हैं

  • यह “गहरी नींद” जैसी निर्बुद्धि अवस्था देता है

  • यही शरीर अगले जन्म का ढांचा तय करता है

क्यों ‘कारण’ कहा गया?

क्योंकि यह
→ सूक्ष्म शरीर का कारण है
→ सूक्ष्म शरीर
→ स्थूल शरीर का कारण है

यानी तीनों शरीर की उत्पत्ति इसकी बीज-शक्ति से होती है।


तीनों शरीर का सरल तुलना चार्ट

शरीरप्रकृतिघटकमृत्यु के बादमुख्य कार्य
स्थूल शरीरभौतिक5 महाभूत, अंगपंचतत्व में विलीनदुनिया में कर्म करना
सूक्ष्म शरीरमानसिक/ऊर्जात्मकमन, बुद्धि, प्राण, इन्द्रिय-शक्तियात्रा करता हैसोचना, महसूस करना, स्वप्न, इच्छाएँ
कारण शरीरकारण/बीज रूपसंस्कार, वासना, अज्ञानजीव के साथ रहताअगला जन्म तय करना

तीनों शरीर का कार्य-सम्बंध (एक सरल उदाहरण)

  • स्थूल शरीर = मोबाइल फोन

  • सूक्ष्म शरीर = सॉफ्टवेयर, ऐप्स, मेमोरी

  • कारण शरीर = फर्मवेयर + मूल सेटिंग्स + सिस्टम कोर

फोन टूट जाए तो नया मिल सकता है,
लेकिन सॉफ्टवेयर व सेटिंग्स नए फोन में ट्रांसफ़र हो जाती हैं—
इसी तरह सूक्ष्म और कारण शरीर नए जन्म में जाते हैं


तीनों शरीर का आध्यात्मिक उद्देश्य

  • स्थूल शरीर → साधना और कर्म का साधन

  • सूक्ष्म शरीर → मन और चेतना की शुद्धि

  • कारण शरीर → अज्ञान का नाश कर आत्मज्ञान पाना

आत्मज्ञान के बाद तीनों शरीर से परे आत्मा / ब्रह्म का अनुभव होता है।

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