राम जपु राम जपु राम जपु बावरे ।
घोर भव नीर निधि नाम निज नाव रे ।।
एक ही साधन सब रिद्धि सिद्धि साधि रे ।
ग्रसे कलि रोग जोग संजम समाधि रे ।।
भलो जो है पोच जो है दाहिनो जो बाम रे ।
राम नाम ही सो अंत सब ही को काम रे ।।
जग नभ बाटिका रही है फल फूलि रे ।
धुवां कैसे धौरहर देखि तू न भूलि रे ।।
राम नाम छांडि जो भरोसो करै और रे ।
तुलसी परोसो त्यागि माँगे कूर कौर रे ।।