पारम्परिक रचना
संतन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी
Santan ke sang laag re nirgun bhajan
संतन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी,
अच्छी बनेगी तेरी बिगड़ी बनेगी,
अच्छी बनेगी तेरी तेरी किस्मत जगेगी,
जाग सके तो जाग रे तेरी अच्छी बनेगी।।
ध्रुव जी की बन गई,
प्रहलाद जी की बन गई,
ध्रुव जी की बन गई,
प्रहलाद जी की बन गई,
हरी कीर्तन में लाग रे,
तेरी अच्छी बनेगी।।
कागा से तोहे हंस बनावे,
कागा से तोहे हंस बनावे,
मिट जाए दिल के दाग रे,
तेरी अच्छी बनेगी।।
संतन के संग भक्ति बढ़ेगी,
संतन के संग भक्ति बढ़ेगी,
राम चरण अनुराग रे,
तेरी अच्छी बनेगी।।
मोह रात्रि में बहुत दिन सोया,
मोह रात्रि में बहुत दिन सोया,
जाग सके तो जाग रे,
तेरी अच्छी बनेगी।।
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
होये तेरो बडो भाग रे,
तेरी अच्छी बनेगी।।
संतन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी,
अच्छी बनेगी तेरी बिगड़ी बनेगी,
अच्छी बनेगी तेरी तेरी किस्मत जगेगी,
जाग सके तो जाग रे तेरी अच्छी बनेगी।।