भजन बिन बावरा रे, तूने हीरो सो जनम गवायो - निर्गुण भजन

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कबीर दास भजन लिरिक्स  

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो

रे तूने हीरे सा जनम गवायो 

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो


ना आयो कभी संत शरण में,

ना ही हरी गुण गायो।

पच पच मरयो बैल की नाई ,

सोय और उठ खायो।

 भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो

रे तूने हीरे सो जनम गवायो 

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो


यह संसार हाट बणिये की ,

सब जग सौदे आयो।

चतुर माल चोगुणो कीनो ,

मूरख मूळ गवायो।

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो

     

रे तूने हीरे सो जनम गवायो 

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो


यह संसार फूल सेम्हर का ,

सुगना देख लुभायो।

मारी चोंच रुई निकसाई ,

डाली बैठ पछतायो।

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो

रे तूने हीरे सो जनम गवायो 

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो



यह संसार माया का लोभी ,

ममता महल चुनायो।

कहत कबीर सुणो भाई साधो ,

हाथ कछु नहीं आयो।

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो

रे तूने हीरे सो जनम गवायो 

भजन बिन बावरा रे, तूने हीरे सो जनम गवायो

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