बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत - banke ram ji ke doot chalale anjani ke put

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बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 

संशय सुरसा के नाश हो गईल 

बल पौरुष पर विश्वास हो गईल। 

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत ।।

हर्षित देवसमाज हो गईल।


लंका में लंकिनी के चाक चौबंद बा। 

हनुमत के रोक लिहलस बड़ा घमंड बा।

मरले मुक्का मुँह से खून आ गईल

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 


लंका में सगरे निशिचर के जमाव बा 

कइसन ई मनई एकरा राम से लगाव बा 

कइले ढिठाई त पहचान हो गईल 

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 


सीता के सुधि तब विभीषण बतवले। 

निशिचर के पहरा बा इहो चेतवले। 

सुखल देहिया में जान आ गईल। 

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 


जाके ु उ छुप गईले पतई के ओट में। 

सोच बिचार बइठल रहले संकोच में।।

तबही रावण के समाज आ गईल। 

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 


लागल डरावे उ सिया जी के छल से।  

मान न त जान लेहब एहि करवाल से।

इहे कहिके उ घरे चल गईल। 

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 


सिया जी तब मांगे लागली अशोक से आगि। 

कहली की हम केतना बानी हतभागी। .  

देखली मुद्रिका त जान आगईल। 

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 


चकित चितवे लागली राम जी के नाम के 

अरे कइसन माया बा जाने भगवान के 

तबही राम गुणगान बा भईल। 

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 


लागले सुनावे उ राम गुणगान हो 

सिया जी के सुनके आघाला न कान हो। 

कपि पर अब विश्वास बा भईल। 

बनके राम जी के दूत चलले अंजनी के पूत

हर्षित देवसमाज हो गईल। 


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